World Environment Day


विश्व पर्यावरण दिवस

सबको देनी है यह शिक्षा पर्यावरण की करो सुरक्षा                                             विश्व पर्यावरण दिवस ऐतिहासिक पृष्ठभूमिप्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण के प्रति जन जागृति लाने हेतु पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा की थी। सर्वप्रथम स्टॉकहोम में पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित हुआ। प्रतिवर्ष एक थीम रखी जाती है उसी पर वर्ष भर कार्य किया जाता है। 2020 के लिए जैव विविधता  की थीम रखी गई हैं। संपूर्ण जगत में सूक्ष्मजीव से लगाकर विशालकाय जी विद्यमान है हमें इस विविधता का संरक्षण करना है।                                        पर्यावरण दिवस मनाने के उद्देश्य -                                                  1पर्यावरण का संरक्षण करना                                          2.पर्यावरण की समस्याओं के प्रति विश्व समुदाय को एकजुट होकर प्रयास करना,                                         3 .पर्यावरण के प्रति जन जागरू                                पर्यावरण के प्रति भारतीय अवधारणा-                                          प्राचीन काल से ही हमारे धर्म एवं समाज में प्रकृति को माता माना गया है। हमारे धर्म ग्रंथ इस बात के साक्षी है कि हमने हमेशा प्रकृति एवं उसके  साधनों  जैसे सूर्य ,चंद्रमापेड़ पौधे ,  नदियांँ आदि को देवतुल्य मानकर उनकी पूजा अर्चना की है। सभी धर्म प्रकृति संरक्षण की सीख देते हैं जैसे जैन धर्म और बौद्ध धर्म में जीव हिंसा का विरोध किया गया है ।इस्लाम धर्म की आयतों में प्रकृति की रक्षा की हिदायत दी गई है। सभी धर्मों का सार  यह है कि प्रकृति एवं पर्यावरण की रक्षा की जाए  मानव एवं पर्यावरण का संबंधमानव एवं पर्यावरण एक दूसरे पर आश्रित है जहांँ पर्यावरण मानव जाति के पोषण का आधार है वहाँ यही पर्यावरण मानव की गतिविधियों से प्रभावित भी होता है ।पहले मनुष्य प्रकृति को अपने जीवन रक्षा का साधन मानता था किंतु वर्तमान औद्योगिक युग में वह अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर रहा है इससे हवा पानी भोजन में जहर खुल गया है। अनेक प्राकृतिक आपदाएं मनुष्य की इन्हीं  भूलों का परिणाम है। पर्यावरण प्रदूषण मनुष्य की ही देन- जिस प्रकृति ने मनुष्य को बालक समझकर गोद में पाला है उसका पालन पोषण किया है आज मनुष्य विकास के नाम पर उस प्रकृति को ही विकृत करने पर तुला है। पर्यावरण प्रदूषण के कारणऔद्योगिकरण ,नगरीकरणअति खननकृषि में हानिकारक कीटनाशकों का अधिक उपयोगवनों की कटाई ,बड़े बांधों का निर्माण,  आवास में वृद्धि ,विकास की दौड़ में आगे निकलने की महत्वाकांक्षा ऐसे अनेक कारण हैं जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषित हो गया है।                                                              पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव एवं प्रकृति का  कोप -भौतिकवाद ,विकास की अति महत्वाकांक्षा ,महाशक्ति बनने  की अंधी दौड़ एवं विलासिता की   चाह ने मनुष्य को इस कदर  अंधा बना दिया है कि वह प्रकृति का असीमित दोहन कर रहा है और आज इसी के कारण प्रकृति भी नाराज होकर मानव जाति पर कहर बरसा रही है।                                                                                            

                                                                                     

 

                                                                                                    1. वायु प्रदूषण से जहांँ श्वसन संबंधी  बीमारियांँ जन्म ले रही है वहांँ अम्लीय वर्षा को भी बढ़ावा मिला है अम्लीय वर्षा से पृथ्वी का हरित  आवरण  नष्ट हो जाता है। ओजोन परत जो रक्षा कवच के रूप में हानिकारक पराबैगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है उसमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन के कारण छेद हो गया है  यह किरण त्वचा के कैंसर को जन्म देती है एवं पर्यावरण को नुकसान हुंचाती है।                                                     2 .वाहनों एवं कारखानों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस के कारण वायुमंडल का तापमान बढ़ता जा रहा है जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो गई है। अत्यधिक तापमान के कारण   ग्लेशियर  पिघलने  लगेंगे और यह पृथ्वी जल मग्न हो जाएगी।         

                                                                                                   3. पॉलिथीन, कीटनाशक  एवं रासायनिक उर्वरकों के अधिक उपयोग के कारण  भूस्खलन, बीहड़ ,सूखा की समस्या उत्पन्न हो रही।
                                                                                                                                                                          4. बड़े बांधों के निर्माण से विस्थापन भूकंप की समस्या उत्पन्न होती है जैसे इंदिरा सागर सरदार सरोवर बांध के कारण विस्थापन की समस्या सामने आई है                                                                                                                  5. पर्यावरण प्रदूषण एवं प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के कारण  कोरोना जैसी महामारी  उत्पन्न हो रही है जिसनें संपूर्ण मानव  जाति को झकझोर की रख दिया है।

     पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाए जाने वाले कदम   -   पर्यावरण सुधार के लिए एवं उसे बचाने के लिए कुछ जरूरी कदम  उठाए जाने चाहिए तभी हम  आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ संजोकर और कुछ संभाल कर रख पाएंगे।                                                                                                                                1.ऊर्जा के गैर परंपरागत साधन जैसे सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा   बायोमास आदि का अधिक उपयोग करना चाहिए।      2.पॉलिथीन एवं कीटनाशकों का उपयोग प्रतिबंधित होना चाहिए।                                                3.जैविक खाद अपनाएं और भूमि बचाएं।                                                   4.भवन निर्माण में उर्जा संरक्षण एवं हरीतिमा की  आचार संहिता  अपनाएं                                     5.सीएनजी अपनाएं प्रदूषण दूर भगाएं। वृक्षारोपण अपनाएं हरीतिमा फैलाएं।                                        6.ग्रीन लेबल उपकरण अपनाएं बिजली की खपत घटाएं।                                                         7. यूज एंड थ्रो का कल्चर ना अपनाएं आजकल सार्वजनिक कार्यक्रम जैसे जन्मदिन विवाह आदि के अवसर पर डिस्पोजल ग्लास प्लेट आदि का उपयोग किया जाता है बाद में इन्हें नष्ट किए बगैर यत्र तत्र यहांँ वहांँ  फेक दिया जाता है ऐसा करना पूर्णता गलत है                                               8.वाटर हार्वेस्टिंग   अपनाएं और पानी को व्यर्थ बहने से बचाएं।        

अभी ना  जागे तो भयंकर होंगे दुष्परिणाम -             आज प्रकृति हमें पर्यावरण संकट के प्रति आगाह कर रही है हमें चेतावनी दे रही है।यदि हम अभी   भी ना  जागे तो परिणाम    खतरनाक होंगे। आज जिस कोरोना  वायरस के कारण पूरा विश्व  हिल गया है  वह मानवीय भूल का ही परिणाम है ।मनुष्य विज्ञान के   सहारे प्रकृति को अपनी मुट्ठी में करना चाहता है किंतु प्रकृति को अपने वश में करना और उसका मनचाहा उपयोग करना कतई संभव नहीं है। इंटरनेट क्रांति के इस युग में किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि कोरो ना जैसी महामारी  आएगी और पर्यावरण को अपनी मुट्ठी में करने वाला मनुष्य खुद प्राकृतिक आपदा के कारण अपनी जान बचाने के लिए अपने घरों में  कैद होकर रह जाएगा। जब एक वायरस  मानव को हिला सकता है  तो पूरी प्रकृति यदि अपने  रोद्र रूप में जाए  संपूर्ण प्राणी जगत का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा ।पर्यावरण दिवस मनाना तभी सार्थक होगा जब हम विकास के नाम पर पर्यावरण का  अनुचित दोहन करने से बाज आएं  ।आज   लॉक डाउन के कारण बीमार हो चुका हमारा पर्यावरण   पुनः स्वस्थ हो गया हे यदि 1 सप्ताह में 1 दिन भी वाहनों  एवं कारखानों का उपयोग प्रतिबंधित कर दे  तो पर्यावरण को पुनः स्वस्थ किया जा सकता है। आने वाली पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संपदा को बचाया जा सकता है ।अंत में मैं इतना ही कहना चाहूंँगी कि                                                                                                                     पर्यावरण   को जो ना बचाएंगे ,तो हम धरा पर ना रह पाएंगे।



Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

sucide , anxiety and depression

teachers day

विश्व जनसंख्या दिवस